प्रोटीन को भारतीय जरूरी नहीं मानते, 73% लोग इसकी कमी से जूझ रहे; 93% को इसके फायदे तक पता नहीं
आयरन और कैल्शियम की तरह भारतीयों में प्रोटीन की भी कमी है। 73% शहरी आबादी में प्रोटीन का स्तर मानक से काफी कम है। खानपान में इसे क्यों शामिल करना चाहिए, 93% लोगों को यह भी पता नहीं है। सबसे चौंकाने वाली बात है कि भारतीय प्रोटीन को महत्व ही नहीं देते। उनका मानना है कि यह सिर्फ जिम जाने वालों के लिए जरूरी है। इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो के एक सर्वे में यह बात सामने आई है।
देश के 7 शहरों में हुआ सर्वे
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 7 शहरों में हुए सर्वे में भारतीयों का मानना है कि डाइट में प्रोटीन का इस्तेमाल वजन घटाने के लिए किया जाता है। 2018 में हुई इनबॉडी-आईपीएसओएस की रिसर्च के मुताबिक, 71% भारतीयों की मांसपेशियां कमजोर हैं। मानक के मुकाबले शरीर में 68% तक प्रोटीन की कमी है। नेशनल सैंपल सर्वे (2011-12) के मुताबिक, ग्रामीण इलाके में 56.5 ग्राम और शहरी इलाके के भारतीय 55.7 ग्राम प्रोटीन लेते हैं।
रोजाना कितना प्रोटीन जरूरी
स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में काम कर रहे डॉ. नंदन जोशी कहते हैं- शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना और मानक से कम प्रोटीन शरीर में पहुंचने से युवाओं की मांसपेशियों को कमजोर हो रही हैं। 30 साल की उम्र में मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होना शुरू होती हैं। हर 10 साल में 3-5% तक मांसपेशियां डैमेज होती हैं। रोजाना एक्सरसाइज और प्रोटीन इसे रिपेयर करने का काम करते हैं और एक्टिव रखते हैं। किसी भी इंसान को अपने वजन के मुताबिक प्रोटीन लेना चाहिए। जैसे आपका वजन 60 किलो है तो रोजाना 60 ग्राम प्रोटीन डाइट में लेना चाहिए।
प्रोटीन की कमी कैसे पूरी करें
डाइटीशियन और क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. नीतिशा शर्मा बताती हैं कि मांसाहारी हैं तो डाइट में मीट, चिकन, अंडे ले सकते हैं। शाकाहारियों के लिए दूध, फलियों की सब्जियां, मूंगफली, नट्स और दालें बेहतर विकल्प हैं। एक ही जगह पर दिनभर का ज्यादातर समय बिताना, शरीर सक्रिय न रखना और प्रोटीन का घटता स्तर मांसपेशियों को कमजोर कर रहा है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक, प्रोटीन जीवन के हर पड़ाव के लिए जरूरी है।
सबसे ज्यादा प्रोटीन की कमी लखनऊ वालों में
इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो के एक अन्य सर्वे में देश के प्रमुख शहरों में प्रोटीन का स्तर जांचा गया। सर्वे में पाया गया 90% लखनऊ के लोगों में प्रोटीन की कमी है। दूसरे पायदान पर दो शहर, अहमदाबाद और चेन्नई हैं, यहां की 84% आबादी प्रोटीन की कमी से जूझ रही है। तीसरे स्थान पर विजयवाड़ा (72%) और चौथे पर मुंबई (70%) है। वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा 60 फीसदी है। इस सर्वे में 1800 लोग शामिल किए और उनके खानपान का विश्लेषण किया गया।
खाने से 50 फीसदी ही प्रोटीन मिल रहा
इंडियन डाइटिक एसोसिएशन के मुताबिक, भारतीयों को खानपान से जरूरत का मात्र 50 फीसदी की प्रोटीन मिल पा रहा है। प्रोटीन बच्चों के विकास के अलावा उनके सोचने-समझने की क्षमता को बेहतर बनाता है। यह मांसपेशियों के लिए जितना जरूरी है, उतना ही शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए भी अहम है। इसके अलावा स्किन और बालों को खूबसूरत और हेल्दी बनाने के लिए शरीर में पर्याप्त प्रोटीन का होना जरूरी है।
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